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Wednesday, November 23, 2011

मेरे बेटे मैं अछ्छा पापा नहीं बन सका

देख तुम्हारा अंकपत्र बस इतना ही कह सका,
मैं अछ्छा पापा नहीं बन सका

यकीं कर पाना है मुश्किल,
बड़ी बेचैनी है बेटे
तुम्हारे अंक कम कैसे,
सोचता हूँ लेटे लेटे

साधारण से प्रश्न और ढेरो गलती ,
जाने  दुविधा कैसी तुममे पलती
तुम्हारी दुविधाओं का समाधान ,
मैं नहीं कर सका
मेरे बेटे मैं अछ्छा पापा नहीं बन सका

काश तुम्हारे साथ अगर मैं पढ़ पाता
कठिन  प्रश्न हल करने की विधि  गढ़ पाता
वो सारी विधिया कभी नहीं मैं गढ़ सका  
मैं अछ्छा पापा नहीं बन सका

मैं अपनी उलझन में व्यस्त ,
तुम dorman संग मस्त मस्त
टी.वी से दिलचस्प और कुछ,
तुमको मैं  दिखला   न सका
मेरे बेटे मैं अछ्छा पापा नहीं बन सका
                                   क्रमशः 

Monday, October 24, 2011

चूहेदानी

दुनिया में आदमी दो तरह के होते है.  एक जो समस्या की आह्ट पाते ही उसके निदान में लग जाते हैं , दूसरे मेरी तरह के बतफरोश,निकम्मे लोग जो समस्या के साथ  तब तक नैन मटक्का करते हैं जब तक समस्या  तांडव न  करने लगे . हमारी  सबसे बड़ी समस्या  हमारी धर्मपत्नी है  और उनकी सबसे बड़ी समस्या फिलवक्त चूहे हैं .चूहों  से निपटने की सरलतम विधा है चूहेदानी ,पर खरीदना कितना मुश्किल ,की पिछले चार दिनों से बेशर्मो की तरह डांट खा रहे हैं पर चूहेदानी नहीं ला रहे हैं  पत्नी कहती है चूहा दिन पर दिन मोटा होता जा रहा है हमने कहा आरी भाग्यवान चूहा अपने किस्मत की खा रहा है कौन सा तुमपर  आक्रमण करने जा रहा है पत्नी चिल्लाई आज यदि चूहेदानी नहीं लाओगे, घर में घुस नहीं पाओगे.
            ढीठ  और निकम्मे आदमियों  के लिए दुत्कार  बड़ी रामबाण दवा होती है. दवा ने हम पर जादू की तरह असर किया और अगले ही छन  हम खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर चुके थे .एक अच्छे quality  का चूहेदानी दिखाईये  उसने दिखाया  हमें उसका रंग पसंद नहीं आया फिर भी एक अच्छे ग्राहक की तरह  हमने चूहेदानी की गुणवत्ता जांचनी शुरू कर दी .हमने पूछा इसमें चूहा फंसेगा दूकानदार बोला - अजीब आदमी है चूहेदानी है  चूहा  ही फंसेगा शेर नहीं .हमने कहा -गारंटी  देते हो चूहा फंसेगा .बोला नहीं  चूहा फंसने की कोई गारंटी  नहीं है चूहे का फंसना चूहे के विवेक पर निर्भर करता है चूहा अगर विवेकशील हुआ तो पिंजरे में क्यों आएगा ,तो क्या दोष  हमारे चूहेदानी का हो  जायेगा .
            हमारे पैरो तले जमीं खिसक गयी. दुकानदार व्यंग की भाषा में बातकर रहा था ,और हम पर भारी  भी पड़ रहा था . हमने उससे पीछा छुडाने में ही अपनी भलाई समझी और पुराना पैतरा अपनाया -इससे एक साइज़  बड़ा है - हमने पूछा . जवाब आया -जाईये अपने चूहे का नाप ही ले आईये .  इस हमले केलिए हम  तैयार न थे ,हम बचाव की मुद्रा में आ गए  बोले -आप तो नाराज हो गए ,मैं तो बस ये सुनिश्चित कर लेना चाहता था की इसमें हर साइज़ का चूहा आ जायेगा . दुकानदार बोला- इससे  मूर्खतापूर्ण प्रश्न क्या हो सकता है यदि आपका चूहा इस चूहेदानी से बड़ा है तो आपको चूहेदानी की नहीं बन्दूक की जरुरत है उसका शिकार करिए चूहेदानी में पैसा व्यर्थ मत करिए .साले ने फिर पटकनी दे दी थी 
                हमारी सहनशीलता जवाब दे गयी हम चिल्लाये - इतनी  देर से क्या आपका चूहा ,आपका चूहा लगा रखा है चूहा क्या मेरा है  सम्पूर्ण राष्ट्र का  है, समाज का है .दुकानदार बोला -देखिये सामाजिक चूहों पर बात करने का यह सही मंच नहीं है सामजिक चूहों के लिए हमारे पास चूहेदानी नहीं है वो तो खुद ही कैद हैं. क्या आप क्या मैं हम सभी चूहेदानी में फसे हुए है जवाब जोरदार था  अब मेरी हालत चूहों जैसी ओ चली थी दुकानदार की विजयी मुस्कान बता रही थी की मेरा मुह  भी चूहे के माफिक हो गया था . अछ्छा हुआ जो  भगवान ने अपना मुह खुद ताकने की  शक्ति आदमी को नहीं दी . वरना कौन आदमी अपने  चेहरे पर हार का रंग बर्दास्त  कर पाता.      
          वातावरण  चूहामय  हो   चला  था  आस  पास  मुझे  चूहे  ही  दिखाई  दे  रहे  थे .ये  सभी किसी  न  किसी  की  चूहेदानी  में  फंस  रहे  थे  कही  नेता  की,  कही  डोक्टर  की , कही  वकील  की ,पडोसी  की , प्रेमिका  की  सभी  फंस  रहे  हैं  किसी  न  किसीकी  चूहेदानी   में  .
   दुकानदार  से  बचने   के  ख्याल  से  हमने  अगला  दाव   फेंका  - चूहेदानी  का  रंग  कोई  दूसरा  दिखाईये . दुकानदार  बोला - चूहे  की  पसंद  बताईये . हमने  पूछा- अरे  मगर  क्यों ?बोला -कमाल  करते  हैं  फंसना  चूहे   को  है  और  उसपर  आप  अपनी  पसंद  का  रंग  थोपते  हैं . जैसे  मैं  साक्षात्  नारायण  के  दर्शन  कर  रहा  था  . अर्जुन  को  गीता  उपदेश  मिला  था  मुझे  चूहा  उपदेश  मिल  रहा  था . सच  कहा  है  कब   किस  भेष  में  मिल  जाये  नारायण .
      औरते  जिस  साहस  से  आधी  कीमत  बोल  कर  दूकान  से  सहजता  के  साथ  उतर  जाती  है ,उस  अदम्य  साहस  का  मुझमे  पूर्ण  आभाव  था ,फिर  मेरा  सामना  भी  एक  असाधारण  दुकानदार  से  था . तो  बिना  चू -चपड किये  हमने  चूहेदानी  खरीदी  और  घर  चले ,रास्ते  में  एक  ही  प्रार्थना  करते  - कि हे - चूहा  भाई  कम  से  कम  एक  बार  फंस  केर   इस  चूहेदानी  कि  योग्यता  सिद्ध  कर  देना , वरना  पत्नी  यही  कहेगी  एक  चूहेदानी  भी  बढ़िया  नहीं  खरीद  सके ....................

Wednesday, October 12, 2011

Let's Blog: The secret of Happy Life

Let's Blog: The secret of Happy Life: Once upon a time a married couple celebrated their 25th marriage anniversary. They had become famous in the city for not having a single ...

Tuesday, October 11, 2011

मैं कमोड हूँ


मैं  कमोड हूँ . आदमी  की  असंख्य  अद्भुत  अविष्कारों  में  से  एक .
जी  हाँ  कलयुग  की  सबसे  बड़ी  खोज , बिलकुल  facebook   की  तरह  जहाँ ,
कम  से  कम  एक  बार  जाना  तो  आदमी  की  मजबूरी  है .
मैं  वो   HOT SEAT हूँ  जिसे  ग्रहण  करते  ही  आदमी  की  कल्पनाये
अंगडाई  लेने  लगती  है  सोच  विचार  के  तंतु  जाग  उठते  हैं .
इसीलिए  मैं  लेखको  , चिंतको , और  विचारशील  लोगो  की  पहली  पसंद  हूँ .
मेरा  आसन  ग्रहणकर  न  जाने  कितने  कहानियों , काव्यो , और  अविष्कारों  का  जन्म
संभव  हुआ .


आज  जब  आदमी  की  निजता (privacy) खतरे  में  है  ,
मैं  ही  उसे  नितांत  एकांत  उपलब्ध  कराता  हूँ .
यहाँ सिर्फ विचारों  का  ही  आना  संभव  है ,
मैं  ही  वो  एक  मात्र  जगह  हूँ  जहाँ  पत्निया  भी  पति  को
प्रताड़ित  करने  नहीं  आ  सकती  है .

नकली  चेहरों  की  दुनिया  में  मैं  आदमी  के  व्यक्तित्व  का   आइना  हूँ ,
जिसके  यहाँ  मैं  साफ  सुथरा  मुस्कराता  handsome  दिखू  तो ,
आदमीको  साफ  सुथरा  समझना ,
रोता  बदबूदार  दिखू  तो  तौबा  तौबा  करना

सच्चा  हो  या  झूठा  ,पापी  हो  या  सदाचारी  ,
मैं  ही  वो  हमाम  हूँ  जहाँ  सभी  नंगे  हैं ,
और  चलते  चलते  दुःख  की  घडी  में  जब  तुम्हे  रोने  को ,
कोई  कंधा  न  मिले ,छलकते  आसुओ   को  छुपाने  की  कोई
जगह  न  मिले , मैं  माँ  की  गोद  की  तरह  हूँ
जहा  बच्चा  रोता  है  फूट  फूट कर  सकून    पाने  को .....
...................


........

Wednesday, October 5, 2011

Thursday, September 29, 2011

patni aur premika


पत्नी  का  भोलापन  पत्नी  की  मुर्खता , प्रेमिका  की  मुर्खता  प्रेमिका  का  भोलापन .

Facebook  पर  ही  ये  पंक्तियाँ  पढ़ी .लेखक  के  प्रति  मन  श्रधा  से  भर  गया .
किसी  बड़े  हास्य  लेखक  का  सटीक  मनोवैज्ञानिक  विश्लेषण  .
एक  पंक्ति  और  पूरा  दर्शन -पत्नी  और  प्रेमिका .
दिन  भर  ये  पंक्तिया  हसाती  रही  पत्नी  और  प्रेमिका  का  अंतर  दिखाती  रही .
अंतर  देखिये --------
पत्नी   की  पीड़ा   - पत्नी  का  अभिनय , प्रेमिका  का  प्रभु  मुझे  दे  दो .
पत्नी  की  सलाह - उलाहना , प्रेमिका  की  प्रेरणा .
पत्नी  का  गाना - क्यूँ  गाती  हो , प्रेमिका  का  गाना  क्या  गाती  हो 
पत्नी  की  माँ - मुसीबत  की  जड़  , प्रेमिका  की  माँ  मम्मी  जी 
कहने  का  अभिप्राय  यह  की  लेखक  की  एक  ही  पंक्ति  पतियों  की  साड़ी  गोपनीय  भावनाओं  का    भंडाफोड़  करती  है .
सोचता  हूँ  पत्नी  और  प्रेमिका  का  एक  cocktail , एक  fusion या  एक  मिश्रित  चरित्र  तैयार  हो  जाये  तो  जीवन  स्वर्ग  हो  जाये .
पर  विडंबना  देखिये  - प्रेमिका , पत्नी  बन्ने  को  तैयार  नहीं  और  पत्नी  , प्रेमिका .
पत्नी  जी  तो  कसम  खाकर  ही  आती  है  की  - न  प्रेमिका   बनूंगी  और  न  ही  बन्ने  दूँगी . अर्थात  पति  महोदय  हर  हाल  मैं  प्रेम  से  मरहूम  रहेंगे 

जीने  के  लिए  प्रेम  बहुत  जरूरी  नहीं  है .
पर  इतनी  जरुरी  जरूर  है  की  रेगुलर  मिलती  रहे  फिर  वो  पत्नी  se  मिले  या  प्रेमिका  से 
विषय  गंभीर  है  आप  मiने  या  न   माने .शाम  को  पति  घर  लौटता  है  ढेर  सारा  प्यार  समेटे        रास्ते  भर  खयालो  में  प्यार  STOCK करते  जाता  है  की  जाते  ही  सब  उड़ेल  देगा . पर  शायद  अपने  अन्दर  के  प्रेम  पात्र  की  आहूति  दे  कर  ही  युवतियां  पत्नी  बनती  है .अब  जब  पात्र  ही  नहीं  है  तो   प्यार  उड़ेले  कहाँ ? नतीजन  stock किया  प्यार  WASTE हो  जाता  है . ढेर  सारी   उर्जा  नष्ट  हो  जाती  है . इस  असाधारण  उर्जा  से  हमें  बिजली  पैदा  करने  की  सोचना  चाहिए .मुझे  पूरा  विश्वास  है  जिस  उर्जा  से  दिल  जलता  है  उससे  BULB भी  जलेगा , जरूर  जलेगा . पति  हित  न  सही  राष्ट्र  हित  तो  पूरा  होगा .

प्रश्न  उठता  है  fusion पत्नी  मिले  कैसे ? सोचना  चाहिए , खोजना  चाहिए  आखिर  कौन  खोजेगा ? ये  निकम्मा   जीवन  किसी  के  काम  तो  आना  चाहिए . परंपरागत  शादी  का  दंश  तो  हम  झेल  ही  रहे  हैं , संभव   है  प्रेम  विवाह  में  यह  fusion  मिले .प्रेम  की  सरिता  इसमें  पहले  से  हीबहती  है , बाद  में नदी  और  धीरे  धीरे  अवश्य  सागर  का  रूप  ले  लेती  होगी .बिलकुल  ठीक  यही  वजह  होगी  . अपने  पर  बड़ा  अफसोस  हुआ , प्रेम  के  मार्ग  से  गुजरे  पर  विवाह  का  निर्णय  नहीं  ले  पाए .लोकलाज  का   बोध  ही  हमारी  कमजोरी  बन  गया .वरना  अपने  में    कमी  क्या  थी , किसी  से  भी  फुसल  जाते , किसी  हसीना  के  बहकावे  में  आ  जाते . पर  नहीं  हमने  निर्णय   पिता  जी  पर  छोड़  दिया  यह्हीं  पर  चूक  हो  गयी  उन्होंने  वही  किया  जो  उनके  पिता  जी  ने  किया , एक  भारतीय  पत्नी  दिला  दी . खुद  भी  जीवन  भर  आलोचना  सुनते  रहे  और  फिर  हमें  भी  एक  अदद  कट्टर  आलोचक  पत्नी  के  हवाले  कर  निश्चिन्त  हो  गए . यानी  बबूल  उन्होंने  बोया  काट  हम  रहे  हैं .

अपनी  गलती  से   पिता  जी  ने  कोई  सबक   नहीं  लिया  पर  हम  अवश्य  लेंगे ,अपने  कलेजे  के  टुकडो  को  शेरनी  के  हवाले  कभी  न   करेंगे  सुनिश्चित  करेंगे  की  fusion  बहु  कैसे  प्राप्त  हो . हमारी  पड़ताल  हमे  एक  वीर  मित्र  के  पास  ले  गयी  जिन्होंने   प्रेमिका  को    पत्नी  में  convert किया  था . मिलते  ही  अपना  प्रश्न  उनके  सामने  पटक  दिया - मित्र  प्रेम  की  सरिता  तो  पहले  ही  थी  अब  तो  सागर  में  दुबकी  लगा  रहे  होंगे . मित्र    बोला  – आप  जिस  सरिता  की  बात  कर  रहे  हैं  पत्नी  बनते  ही  उसका  तो  स्रोत  ही  सूख  गया , अब  वो  केवल  पत्नी  है  भारतीय  पत्नी  भारतीय  रेल  की  तरह  जो  पटरी  से  उतर  जाए  कभी  भी  कहीं  भी  भाभी  जी  का  चेहरा  आँखों  के  सामने  घूम  गया  कैसी  प्रेम   की  मूर्ति  दिखती  थी , देखते  ही  प्यार  करने  को  जी  करता  था , पर  हुआ  क्या  कहता  है  स्रोत  ही  सूख  गया .

हमें  लगा  मित्र  झूट  बोल  रहा  है  छिपा  रहा  है , पर  नहीं  उसका  कुपोषित  चेहरा  उसकी  बात  को  प्रमाणित  कर  रहा  है , देखने  से  ही  लग  रहा  है  की  महीनो  से  प्रेम  का  छिडकाव  उस  पर  नहीं  हुआ  है , मुझसे  भी  बत्तर  हाल   है  .जमाने  से  बैर   भी  लिया  मिला  क्या  वही  पत्नी . आज  इस  बात  का  संतोष  है  की  ज़माने  से  हमारी  दोस्ती  तो  बरक़रार  है . मामला   उलझ  गया  यहाँ  भी  fusion भाभी  जी  नहीं  मिली  . चिंतन  जारी  रहता  है  बात  समझ  में  आने  लगती  है .
गड़बड़ी  पत्नी  पाने  के   तरीकों  में  नहीं  बल्कि  पत्नी  के  status में  है . इसे  प्राप्त  सामाजिक  और  कानूनी  अधिकारों  में  है . असीमित  शक्तियां  पा   कर  सत्ता  बौरा     जाती  है  राजा    निरंकुश  हो  जाता  है , फिर  पत्नी  की  सत्ता  तो  life time के  लिए  है  क्यूँ  न  बौराएगी , कौन  हटाएगा  उसे , हम  तो  नहीं  हटा   पायेंगे ,कोई  सभ्य  आदमी  नहीं  हटा  पायेगा ,.चुपचाप  मान  लेगा  भगवान  से  सजा  मिली  है  इस  जन्म   की  नहीं  तो  पिछले  जन्म   की  है  पर  सजा  है , सहेंगे , पर  कब  तक .

पत्नियों   को  सोचना  होगा  समझना  होगा , देखना  होगा  अपने  पतियों  के  कुपोषित  चेहरे  अरे  कौन  सा   समंदर  मांगते  हैं  दो  बूँद  ही  काफी  है  , .हमें  दुत्कारो  पर  प्यार  भी तो  करो , हम  प्यार  के  लिए  प्रेमिका  afford नहीं  कर  सकते . इन्हें  दिखाई  नहीं  दे  रहा  एक  नयी  व्यवस्था  की  शुरुआत हो  चुकी  है  LIVE IN RELATION SHIP, कहते  हैं . इसमें  कानूनी  और  सामजिक  अधिकार  ख़त्म  कर  दिए  गए  हैं , दरवाजे  खुले  है  जब  तक  प्यार  महसूस  होगा  रहेंगे  नहीं  तो  जयराम  जी  की  . ये  व्यवस्था  पत्नियों  की  बेरुखी  से  पनपी  है  , इसे  रोकना  होगा  कौन  रोकेगा ???? ये  हमारी  व्यवस्था  है  हम  ही  रोकेंगे , बहुत  आसान   है  जरूरत  है  बस  ek  FUSION की  बस  एक  COCKTAil बस  एक   मिश्रित  चरित्र  की , पत्नी  और  प्रेमिका ….....

Sunday, September 25, 2011

paani paani re

paani paani  re
तस्वीर्रे  बोलती  है , सन्देश  देती  है  तो  कभी  चिढाती  भी  है . ताजगी  से  भरी  इस  तस्वीर  को  देखिये  इसमें  हर  एक  के  लिए  , कुछ  न  कुछ  जरुर  है . अपने  चेहरे  पर  आप  पानी  की  बूंदे  महसूस  कर  सकते  है , बिना  नहाये  खुद  को  तरोताजा  महसूस  कर  सकते  है , दिल  की  धडकनों  में  एक  रूमानी  संगीत  महसूस  कर  सकते  है  और  तो  और  नहाने  के  लिए  आप   बाथरूम    की  तरफ  कूच  भी  कर  सकते  हैं .          

लेकिन  जब  से  मैंने  इस  तस्वीर को  देखा  है  लगता  है  मुझे  चिढ़ा  रही  है , मानो  पूछती  है  मुझसे —क्यों ? क्या  है   इतना  पानी  तुम्हारे  घर  की  टंकी  में  के  इस  तरह  नहा  सको ? क्या  है  इतनी  जगह  बाथरूम  में  की  दो  लोग  समां  सको  ? साधारण  सा  प्रश्न  मगर  मैं  मौन  , निरुत्तर  और  पानी  पानी  . सोचता  हूँ  कमबख्त  ने  किस  दुखती  रग पर  हाथ  धर  दिया   पानी  खर्च  करने  पर  तो  सचमुच बड़ी  पाबंदी  है  मेरे  घर .  पानी  बर्बाद   करने  का  अधिकार  सिर्फ  काम  करने  वाली  बाई  को  है , कोई  उसे  कुछ  नहीं  कहता  है  सभी  डरते  हैं  कही  काम  छोड़  दिया  तो ?? 

 चिढाना  आसन  है  , तस्वीर  को  क्या  पता  मध्यवर्गीय  बाथरूम   की  गौरव  गाथा . एक  बाथरूम  और  6 आदमी , बड़ी  गरिमा  और  तालमेल   के  साथ  इसकी  सेवा  ली  जाती  है . सभ्य  आदमी  की  तरह  हम  कतार  में  होते  है  तालमेल  इस  बात  का   की  कौन  कब  जाएगा . इसके  लिए  हमारे  सो कर उठने  के  समय  में  अंतराल  है ,  हम  एक  साथ  उठ  कर  बाथरूम  के  लिए  दौड़  नहीं  लगाते . हाँ  कभी  कभार  कतार  में  सेंधमारी  हो  जाती  है . ऐसा  हो  सकता  है    की  नंबर  आप  का  हो  और  कोई  दौड़  के  घुस  जाये , और  आप  चिल्लाते  फिरे - साले निकल  बाहर . और  बहार  खड़े  हम  भीतर  वाले  को  पानी  बर्बाद  करने  की  आजादी  नहीं  देते  . कहेंगे - कितना  पानी  गिरा  रहे  हो  आज  नहीं  निकलोगे  क्या ? यानि  हर  वक्त  हम   जल  खर्ची  को  लेकर  बिल्कुल सतर्क  है ..

 घर  में यदि  मेहमान  हो  तो  हमारी  सतर्कता  देखते  बनती  है . दो  सदस्यी  टीम  जल  भण्डारण  को  बिल्कुल  मुस्तैद   रहती  है  हमेशा भय  बना  रहता  है  के  कही  पानी  समाप्त  न  हो  जाये  कहीं  मेहमान  potty में  फँस  न  जाए , घर  का  आदमी  तो  फिर  भी   आपातकालीन  जलकोष  से  पानी  की  मांग  कर  लेगा  , लेकिन  मेहमान  वो  तो  शर्म   और  संकोच  से  मुख  से   आवाज  निकाल ही  न  पायेगा  सोचेगा - पता  नहीं  कोई   आपातकालीन  व्यवस्था  है  भी  या  नहीं , पता  नहीं  मांगने  पर  डांटदे  की   आपको  सुनिश्चित  कर  के  ही  जाना   था . 

 100 प्रतिशत    सरकारी  नल  दिनभर  पानी  बहाते है , जल   वैज्ञानिक  बताते  है  40% पानी  हमलोग  बर्बाद  कर  देते  है , उनका  अनुमान  है  की  2030 में  भीषण  जल  संकट  पैदा  होगा ,तब  पानी  पेट्रोल  को  आँख  दिखाएगी , प्रेमी  प्रेमिका  को   कहेगा  –प्रिये  इस  b day पर  तुम्हे  एक  tanker  पानी  की  अनुपम  भेट  मिटा  लो  अपनी  नहास  को  और  प्रेमिका  कहेगी  –wow   कल  तो  सारा  दिन  नहाना  है … सोचता  हूँ  जल  संकट  के  उस  घडी  में  हमारी  जल  प्रबंधन छमता  बड़ी     काम    आने  वाली  है , जब  पानी   बन  जाएगी  दो  बूँद  जिंदगी  की , और  लोग  …सुबह  शाम  प्रार्थना  में गाएंगे  पानी  पानी  रे   पानी  पानी रे..... ................... r…….

Tuesday, August 30, 2011

मेरी पहली शव यात्रा

शवयात्रा  में  भाग  लेना  एक  पुण्य  का  काम  माना  जाता  है ,
एक  दिन  हमें  भी  ये  सौभाग्य  प्राप्त  हुआ ,
बगल  का  एक  पडोसी  मृत्युलोक  को  प्राप्त  हुआ .


शनिवार  का  दिन  था  1 बजे  शव  यात्रा  चली ,
बदकिस्मती  से  स्कूलों  में  भी  छुट्टी  हो  चली .
तो  एक  तरफ  स्कूल  की  बस  दूसरी  तरफ  लडकियों  का  काफिला ,
इसी  बीच शव  सहित  हमारा  हुआ  दाखिला .
हमें  देख  कर  भीड़  बिदकती  थी ,
शायद  दोबारा  नहाने  से  डरती  थी  .
हर  कोई  शव  को  श्रधा   से  सर  झुका  रहा  था ,
थोडा  देर  से  बुलावा  आये  भगवान्  से  मना  रहा  था

रास्ते  में  शोक  प्रगट  करने  वाले  एक  से  बढ़  कर  मिले ,
मुश्किल  तब  हुई   जब  कोई  मेरे  परिचित  दिखे
एक  मित्र  दूर  से  ही  चिल्लाये ---brajeshssssssss
ये  क्या ssss हो  गयाssssss,
हमने  झल्लाते  हुए  कहा .... बेवकूफ sssss
बगलवालाssss..गया sssss
जाते  जाते  वो  अपनी  तीव्र  बुध्धि  का  परिचय  दे  गए ,
बोले -- हाँ  यार  सोच  में  पड़ गया  था ,
तुम्हारे  यहाँ  से  तो  जानेवाला  अभी  कोई  नहीं  था .
यह  सुनकर  हम  झल्लाते , कोई  और  मौका  होता  तो  उन्हें  बताते .

तो  सर  झुकाए  पुण्य  कमाने  हम  चले  जा  रहे  थे ,
3  बजे  से  पिक्चर  थी  छूट  न  जाए  घबरा  रहे थे ,

शव  को  जगह  जगह  रोक  कर  फोटो  लिए  जा  रहे  थे ,
फोतोग्रफेर  भी  कमल  का  था  ,
बोला  शव  का  सर  थोडा  उठाईये , पैर  थोडा  झुकायिए,.
हमने  कहा -- अब  कहेगा  मुर्दे  को  हंसायिये ....smile plz

हमने  कहा  लगता  है  हम  किसी  बारात  में  आ  गए  हैं ,
बगल  के  एक  बुजुर्ग  ने  कहा  -------
बेटा  यही  तो  है  आखरी  बारात,
तुम्हारे  समय  तक  विद्युत्  शवदाह  गृह  तैयार  हो  जायेगा .
कितना  अच्छा  होगा  3 घंटे  का  काम  आधे  घंटे ,
में  निपट  जाएगा .

इसी  नोकझोक  के  बीच  शव  को  अग्नि  को  समर्पित  किया  गया ,
शव  को  आखरी  श्रधांजलि  अर्पित  किया  गया .
मैं  अकेला  खड़ा  सोचता  रहा -
अपने   समाज  के  भी  अनोखे  रिवाज  हैं
पहली  बारात  में  आदमी  अग्नि   के  फेरे  लेता  है ,
आखरी  बारात  में  अग्नि  उसके  फेरे  लेती  है ,
पहली  बारात  के  बाद  वो  गृहस्थी  की  आग  में  जला ,
आखरी  बारात  में  वोह  आग  में  ही  जल   गया ,
आग  में  ही  जल  गया .................
                   





Saturday, July 2, 2011

Secrets of Women

Every woman is wrong until she cries, and then she is right instantly.
Women cries at last when she came to know ki ab dal nahi galegi................................otherwise auratee to sherni hai.

Friday, July 1, 2011

Ready 1 2 3

chalo suru to hua