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Thursday, September 29, 2011

patni aur premika


पत्नी  का  भोलापन  पत्नी  की  मुर्खता , प्रेमिका  की  मुर्खता  प्रेमिका  का  भोलापन .

Facebook  पर  ही  ये  पंक्तियाँ  पढ़ी .लेखक  के  प्रति  मन  श्रधा  से  भर  गया .
किसी  बड़े  हास्य  लेखक  का  सटीक  मनोवैज्ञानिक  विश्लेषण  .
एक  पंक्ति  और  पूरा  दर्शन -पत्नी  और  प्रेमिका .
दिन  भर  ये  पंक्तिया  हसाती  रही  पत्नी  और  प्रेमिका  का  अंतर  दिखाती  रही .
अंतर  देखिये --------
पत्नी   की  पीड़ा   - पत्नी  का  अभिनय , प्रेमिका  का  प्रभु  मुझे  दे  दो .
पत्नी  की  सलाह - उलाहना , प्रेमिका  की  प्रेरणा .
पत्नी  का  गाना - क्यूँ  गाती  हो , प्रेमिका  का  गाना  क्या  गाती  हो 
पत्नी  की  माँ - मुसीबत  की  जड़  , प्रेमिका  की  माँ  मम्मी  जी 
कहने  का  अभिप्राय  यह  की  लेखक  की  एक  ही  पंक्ति  पतियों  की  साड़ी  गोपनीय  भावनाओं  का    भंडाफोड़  करती  है .
सोचता  हूँ  पत्नी  और  प्रेमिका  का  एक  cocktail , एक  fusion या  एक  मिश्रित  चरित्र  तैयार  हो  जाये  तो  जीवन  स्वर्ग  हो  जाये .
पर  विडंबना  देखिये  - प्रेमिका , पत्नी  बन्ने  को  तैयार  नहीं  और  पत्नी  , प्रेमिका .
पत्नी  जी  तो  कसम  खाकर  ही  आती  है  की  - न  प्रेमिका   बनूंगी  और  न  ही  बन्ने  दूँगी . अर्थात  पति  महोदय  हर  हाल  मैं  प्रेम  से  मरहूम  रहेंगे 

जीने  के  लिए  प्रेम  बहुत  जरूरी  नहीं  है .
पर  इतनी  जरुरी  जरूर  है  की  रेगुलर  मिलती  रहे  फिर  वो  पत्नी  se  मिले  या  प्रेमिका  से 
विषय  गंभीर  है  आप  मiने  या  न   माने .शाम  को  पति  घर  लौटता  है  ढेर  सारा  प्यार  समेटे        रास्ते  भर  खयालो  में  प्यार  STOCK करते  जाता  है  की  जाते  ही  सब  उड़ेल  देगा . पर  शायद  अपने  अन्दर  के  प्रेम  पात्र  की  आहूति  दे  कर  ही  युवतियां  पत्नी  बनती  है .अब  जब  पात्र  ही  नहीं  है  तो   प्यार  उड़ेले  कहाँ ? नतीजन  stock किया  प्यार  WASTE हो  जाता  है . ढेर  सारी   उर्जा  नष्ट  हो  जाती  है . इस  असाधारण  उर्जा  से  हमें  बिजली  पैदा  करने  की  सोचना  चाहिए .मुझे  पूरा  विश्वास  है  जिस  उर्जा  से  दिल  जलता  है  उससे  BULB भी  जलेगा , जरूर  जलेगा . पति  हित  न  सही  राष्ट्र  हित  तो  पूरा  होगा .

प्रश्न  उठता  है  fusion पत्नी  मिले  कैसे ? सोचना  चाहिए , खोजना  चाहिए  आखिर  कौन  खोजेगा ? ये  निकम्मा   जीवन  किसी  के  काम  तो  आना  चाहिए . परंपरागत  शादी  का  दंश  तो  हम  झेल  ही  रहे  हैं , संभव   है  प्रेम  विवाह  में  यह  fusion  मिले .प्रेम  की  सरिता  इसमें  पहले  से  हीबहती  है , बाद  में नदी  और  धीरे  धीरे  अवश्य  सागर  का  रूप  ले  लेती  होगी .बिलकुल  ठीक  यही  वजह  होगी  . अपने  पर  बड़ा  अफसोस  हुआ , प्रेम  के  मार्ग  से  गुजरे  पर  विवाह  का  निर्णय  नहीं  ले  पाए .लोकलाज  का   बोध  ही  हमारी  कमजोरी  बन  गया .वरना  अपने  में    कमी  क्या  थी , किसी  से  भी  फुसल  जाते , किसी  हसीना  के  बहकावे  में  आ  जाते . पर  नहीं  हमने  निर्णय   पिता  जी  पर  छोड़  दिया  यह्हीं  पर  चूक  हो  गयी  उन्होंने  वही  किया  जो  उनके  पिता  जी  ने  किया , एक  भारतीय  पत्नी  दिला  दी . खुद  भी  जीवन  भर  आलोचना  सुनते  रहे  और  फिर  हमें  भी  एक  अदद  कट्टर  आलोचक  पत्नी  के  हवाले  कर  निश्चिन्त  हो  गए . यानी  बबूल  उन्होंने  बोया  काट  हम  रहे  हैं .

अपनी  गलती  से   पिता  जी  ने  कोई  सबक   नहीं  लिया  पर  हम  अवश्य  लेंगे ,अपने  कलेजे  के  टुकडो  को  शेरनी  के  हवाले  कभी  न   करेंगे  सुनिश्चित  करेंगे  की  fusion  बहु  कैसे  प्राप्त  हो . हमारी  पड़ताल  हमे  एक  वीर  मित्र  के  पास  ले  गयी  जिन्होंने   प्रेमिका  को    पत्नी  में  convert किया  था . मिलते  ही  अपना  प्रश्न  उनके  सामने  पटक  दिया - मित्र  प्रेम  की  सरिता  तो  पहले  ही  थी  अब  तो  सागर  में  दुबकी  लगा  रहे  होंगे . मित्र    बोला  – आप  जिस  सरिता  की  बात  कर  रहे  हैं  पत्नी  बनते  ही  उसका  तो  स्रोत  ही  सूख  गया , अब  वो  केवल  पत्नी  है  भारतीय  पत्नी  भारतीय  रेल  की  तरह  जो  पटरी  से  उतर  जाए  कभी  भी  कहीं  भी  भाभी  जी  का  चेहरा  आँखों  के  सामने  घूम  गया  कैसी  प्रेम   की  मूर्ति  दिखती  थी , देखते  ही  प्यार  करने  को  जी  करता  था , पर  हुआ  क्या  कहता  है  स्रोत  ही  सूख  गया .

हमें  लगा  मित्र  झूट  बोल  रहा  है  छिपा  रहा  है , पर  नहीं  उसका  कुपोषित  चेहरा  उसकी  बात  को  प्रमाणित  कर  रहा  है , देखने  से  ही  लग  रहा  है  की  महीनो  से  प्रेम  का  छिडकाव  उस  पर  नहीं  हुआ  है , मुझसे  भी  बत्तर  हाल   है  .जमाने  से  बैर   भी  लिया  मिला  क्या  वही  पत्नी . आज  इस  बात  का  संतोष  है  की  ज़माने  से  हमारी  दोस्ती  तो  बरक़रार  है . मामला   उलझ  गया  यहाँ  भी  fusion भाभी  जी  नहीं  मिली  . चिंतन  जारी  रहता  है  बात  समझ  में  आने  लगती  है .
गड़बड़ी  पत्नी  पाने  के   तरीकों  में  नहीं  बल्कि  पत्नी  के  status में  है . इसे  प्राप्त  सामाजिक  और  कानूनी  अधिकारों  में  है . असीमित  शक्तियां  पा   कर  सत्ता  बौरा     जाती  है  राजा    निरंकुश  हो  जाता  है , फिर  पत्नी  की  सत्ता  तो  life time के  लिए  है  क्यूँ  न  बौराएगी , कौन  हटाएगा  उसे , हम  तो  नहीं  हटा   पायेंगे ,कोई  सभ्य  आदमी  नहीं  हटा  पायेगा ,.चुपचाप  मान  लेगा  भगवान  से  सजा  मिली  है  इस  जन्म   की  नहीं  तो  पिछले  जन्म   की  है  पर  सजा  है , सहेंगे , पर  कब  तक .

पत्नियों   को  सोचना  होगा  समझना  होगा , देखना  होगा  अपने  पतियों  के  कुपोषित  चेहरे  अरे  कौन  सा   समंदर  मांगते  हैं  दो  बूँद  ही  काफी  है  , .हमें  दुत्कारो  पर  प्यार  भी तो  करो , हम  प्यार  के  लिए  प्रेमिका  afford नहीं  कर  सकते . इन्हें  दिखाई  नहीं  दे  रहा  एक  नयी  व्यवस्था  की  शुरुआत हो  चुकी  है  LIVE IN RELATION SHIP, कहते  हैं . इसमें  कानूनी  और  सामजिक  अधिकार  ख़त्म  कर  दिए  गए  हैं , दरवाजे  खुले  है  जब  तक  प्यार  महसूस  होगा  रहेंगे  नहीं  तो  जयराम  जी  की  . ये  व्यवस्था  पत्नियों  की  बेरुखी  से  पनपी  है  , इसे  रोकना  होगा  कौन  रोकेगा ???? ये  हमारी  व्यवस्था  है  हम  ही  रोकेंगे , बहुत  आसान   है  जरूरत  है  बस  ek  FUSION की  बस  एक  COCKTAil बस  एक   मिश्रित  चरित्र  की , पत्नी  और  प्रेमिका ….....

Sunday, September 25, 2011

paani paani re

paani paani  re
तस्वीर्रे  बोलती  है , सन्देश  देती  है  तो  कभी  चिढाती  भी  है . ताजगी  से  भरी  इस  तस्वीर  को  देखिये  इसमें  हर  एक  के  लिए  , कुछ  न  कुछ  जरुर  है . अपने  चेहरे  पर  आप  पानी  की  बूंदे  महसूस  कर  सकते  है , बिना  नहाये  खुद  को  तरोताजा  महसूस  कर  सकते  है , दिल  की  धडकनों  में  एक  रूमानी  संगीत  महसूस  कर  सकते  है  और  तो  और  नहाने  के  लिए  आप   बाथरूम    की  तरफ  कूच  भी  कर  सकते  हैं .          

लेकिन  जब  से  मैंने  इस  तस्वीर को  देखा  है  लगता  है  मुझे  चिढ़ा  रही  है , मानो  पूछती  है  मुझसे —क्यों ? क्या  है   इतना  पानी  तुम्हारे  घर  की  टंकी  में  के  इस  तरह  नहा  सको ? क्या  है  इतनी  जगह  बाथरूम  में  की  दो  लोग  समां  सको  ? साधारण  सा  प्रश्न  मगर  मैं  मौन  , निरुत्तर  और  पानी  पानी  . सोचता  हूँ  कमबख्त  ने  किस  दुखती  रग पर  हाथ  धर  दिया   पानी  खर्च  करने  पर  तो  सचमुच बड़ी  पाबंदी  है  मेरे  घर .  पानी  बर्बाद   करने  का  अधिकार  सिर्फ  काम  करने  वाली  बाई  को  है , कोई  उसे  कुछ  नहीं  कहता  है  सभी  डरते  हैं  कही  काम  छोड़  दिया  तो ?? 

 चिढाना  आसन  है  , तस्वीर  को  क्या  पता  मध्यवर्गीय  बाथरूम   की  गौरव  गाथा . एक  बाथरूम  और  6 आदमी , बड़ी  गरिमा  और  तालमेल   के  साथ  इसकी  सेवा  ली  जाती  है . सभ्य  आदमी  की  तरह  हम  कतार  में  होते  है  तालमेल  इस  बात  का   की  कौन  कब  जाएगा . इसके  लिए  हमारे  सो कर उठने  के  समय  में  अंतराल  है ,  हम  एक  साथ  उठ  कर  बाथरूम  के  लिए  दौड़  नहीं  लगाते . हाँ  कभी  कभार  कतार  में  सेंधमारी  हो  जाती  है . ऐसा  हो  सकता  है    की  नंबर  आप  का  हो  और  कोई  दौड़  के  घुस  जाये , और  आप  चिल्लाते  फिरे - साले निकल  बाहर . और  बहार  खड़े  हम  भीतर  वाले  को  पानी  बर्बाद  करने  की  आजादी  नहीं  देते  . कहेंगे - कितना  पानी  गिरा  रहे  हो  आज  नहीं  निकलोगे  क्या ? यानि  हर  वक्त  हम   जल  खर्ची  को  लेकर  बिल्कुल सतर्क  है ..

 घर  में यदि  मेहमान  हो  तो  हमारी  सतर्कता  देखते  बनती  है . दो  सदस्यी  टीम  जल  भण्डारण  को  बिल्कुल  मुस्तैद   रहती  है  हमेशा भय  बना  रहता  है  के  कही  पानी  समाप्त  न  हो  जाये  कहीं  मेहमान  potty में  फँस  न  जाए , घर  का  आदमी  तो  फिर  भी   आपातकालीन  जलकोष  से  पानी  की  मांग  कर  लेगा  , लेकिन  मेहमान  वो  तो  शर्म   और  संकोच  से  मुख  से   आवाज  निकाल ही  न  पायेगा  सोचेगा - पता  नहीं  कोई   आपातकालीन  व्यवस्था  है  भी  या  नहीं , पता  नहीं  मांगने  पर  डांटदे  की   आपको  सुनिश्चित  कर  के  ही  जाना   था . 

 100 प्रतिशत    सरकारी  नल  दिनभर  पानी  बहाते है , जल   वैज्ञानिक  बताते  है  40% पानी  हमलोग  बर्बाद  कर  देते  है , उनका  अनुमान  है  की  2030 में  भीषण  जल  संकट  पैदा  होगा ,तब  पानी  पेट्रोल  को  आँख  दिखाएगी , प्रेमी  प्रेमिका  को   कहेगा  –प्रिये  इस  b day पर  तुम्हे  एक  tanker  पानी  की  अनुपम  भेट  मिटा  लो  अपनी  नहास  को  और  प्रेमिका  कहेगी  –wow   कल  तो  सारा  दिन  नहाना  है … सोचता  हूँ  जल  संकट  के  उस  घडी  में  हमारी  जल  प्रबंधन छमता  बड़ी     काम    आने  वाली  है , जब  पानी   बन  जाएगी  दो  बूँद  जिंदगी  की , और  लोग  …सुबह  शाम  प्रार्थना  में गाएंगे  पानी  पानी  रे   पानी  पानी रे..... ................... r…….