गुलाब के साथ मेरा ३६ का आंकड़ा रहा है , ऐसा पूरे विश्वास के साथ इसलिए कह रहा हूँ की इतने valentine बीत गए कभी मेरे लिए कोई गुलाब नहीं आया और न ही मैं कभी किसी के लिए खरीद पाया ,दोनों ही सूरत में हथेलिया गुलाब से मरहूम ही रही !ढाई अक्षर का पिद्दी सा शब्द प्रेम कितना जटिल है मैं कभी समझ ही नहीं पाया !पहले तो ये सुनिश्चित करना ही मुश्किल काम है की प्रेम हुआ भी या नहीं हुआ तो एकतरफा है या दो तरफ़ा, दोतरफा है या बहुतरफा!बहुतरफा है तो बड़ी समस्या है यहाँ से प्रेम राष्ट्रीय समस्या के रूप में दिखाई देने लगता है!
युवा प्रेमी लगा रहे है चक्कर पे चक्कर जला रहे है पेट्रोल पे पेट्रोल !सरकार को एक कानून बना देना चाहिए की प्रेम के कार्य में जो पेट्रोल खर्च करता पाया जायेगा उसे ३ महीने की सजा ! भाई चक्कर ही काटना है तो पैदल काटो राष्ट्र हित भी सुरक्षित रहेगा स्वास्थ भी उत्तम बना रहेगा, पैदल चलने से
मैं तो कहता हूँ की आय और संपत्ति की घोषणा की तरह प्रेम कीभी घोषणा कर दी जानी चाहिए !भ्रम ख़त्म होगा !एक अनार के सौ बीमार में से निन्यानवे को बचाया जा सकेगा, फिजूलखर्ची से !जिसका प्रेम वही खर्च करे दूसरा क्यों समय व्यर्थ करे !पर अफ़सोस प्रेम को हमारे यहाँ आदर प्राप्त ही नहीं है पुत्र को हो जाये तो पिता विलेन ,बहन को हो जाये तो भाई की लाठी पति को हो जाये तो तौबा तौबा सोच कर भी डर लगता है!मैंने हमेशा महसूस किया है की इस ब्रह्माण्ड में परम पिता परमेश्वर के बाद पत्नी ही ऐसी सर्व शक्तिमान है जो हर जगह मौजूद है और मुझे देख रही है परम पिता दयालु है माफ़ कर देगा एक्शन नहीं लेगा पर पत्नी जी के विषय में मै ऐसा नहीं कह सकता !त्वरित कार्यवाही अवश्यम्भावी है,उसके कहर से इश्वेर बचाए! प्रेम तो एक साहसिक कार्य है और पत्नी के रहते साह्स बटोर पाना मेरे जैसो के लिए जरा मुश्किल कार्य है !नतीजन प्रेम की चिंगारी फूटती है और अगले ही पल फ़ुस हो जाती है!
मेरे परम मित्र ने सुनाया की एक velentine day पर अपनी पत्निके लिए गुलाब ले कर गए ,आदर सहित प्रस्तुत किया पत्नी ने कहा ---अलमारी में रख दीजिये ज्यादा प्यार दिखाने की जरुरत नहीं , बेचारे मित्र का मुह ही बन गया !इस तरह एक ही झटके में गुलाब और valentine दोनो की हत्या कर दी गयी !हमने सबक लिया valintine बनाने के लिए पत्नी सही पात्र नहीं है! स्कूल कालेज तो अब रहे नहीं लिहाजा सडको का ही सहारा है !
ऐसा लगता है मेरे जीवन में प्रेम एक तरफ़ा ही चलता रहेगा !अब एक तरफ़ा प्यार को कितनी मान्यता है पता नहीं !पर प्रेम तो प्रेम है फिर एकतरफा हो या चौतरफा क्या फर्क पड़ता है !कोई आध्यात्म गुरु, प्रेम गुरु, प्रेम में बौराए मन को समझा नहीं सकता समझे भी कैसे ,प्रेम का संक्रमण होते ही सबसे पहले बुध्धि काम करना बंद कर देती है सोचने का अतिरिक्त प्रभार दिल के पास आ जाता है !अब नन्हा सा दिल धडके, खून साफ़ करे या सोचने का काम करे! नतीजन सब राम भरोसे चलने लगता है!
हलाकि प्रेम में अब काफी खुलापन आ गया है valentine जैसे पर्व इसका प्रमाण है! पर अभी भी गुलाब आम आम आदमी की पहुँच से बहूत दूर है !एक और valentine बीत गया ,हथेलियाँ गुलाब से मरहूम ही है !यह चिंता का विषय है!राष्ट्रीय एकता के हित में हमें प्रयास करना चाहिए की शिक्षा के तरह प्रेम भी जन जन तक पहुंचे और कोई भी हथेली गुलाब को न तरसे !
हलाकि प्रेम में अब काफी खुलापन आ गया है valentine जैसे पर्व इसका प्रमाण है! पर अभी भी गुलाब आम आम आदमी की पहुँच से बहूत दूर है !एक और valentine बीत गया ,हथेलियाँ गुलाब से मरहूम ही है !यह चिंता का विषय है!राष्ट्रीय एकता के हित में हमें प्रयास करना चाहिए की शिक्षा के तरह प्रेम भी जन जन तक पहुंचे और कोई भी हथेली गुलाब को न तरसे !
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बढ़िया प्रस्तुति ...
ReplyDeleteबहुत सार्थक प्रस्तुति!
ReplyDeletecharcha manch me shaamil karne aabhar , sir
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